School Memories Remains For Ever K.T Shahani School A.T Shahani School Navyouvak SaBha क्या बुलाएँ इसे, हमे खुद नहीं पता ! बचपन में एडमिशन...
School Memories Remains For Ever
K.T Shahani School
A.T Shahani School
Navyouvak SaBha
क्या बुलाएँ इसे, हमे खुद नहीं पता !
बचपन में एडमिशन हुआ 5 th क्लास में -- के टी शाहनी के हो गए।
सुशीला मैडम ने तो हिंदी बोहोत अच्छे से पढ़ाई लेकिन,
बसंत सर के डंडे मैथ्स के subject में पड़े ,
पढ़ा कुछ भी नहीं हमने ,पर फिर भी पास हो गए।
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स्कूल बस में 2 -2 घण्टे लटक कर , हम खजुरी तक जाने जाने जगे ,
कभी गुंडे , कभी पुलिस बनकर हम , अनु को बस से बैरागढ़ घाटी पर छोड़ते हुए , लाजो मासी और ड्राइवर दादा के साथ घर आने लगे।
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आये जब क्लास 6 th में तो -- ए टी शाहनी के हो गए।
समझ ही नहीं आता था की toppers बच्चो में-- हम कहाँ पर खो गए।
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शत्रुघन सर को शक्तिमान कहते , कहते की हुआ शत्रु का आक्रमण ,
पहली बार कंप्यूटर देखा , खेला था मारिओ गेम उसी दिन।
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कभी अनीता मैडम की मैथ्स क्लास का, मुर्गा बनकर सामने वाले ग्राउंड में चलाये गए ,
तो कभी इंदु मैडम के डंडे से पीटे गए ,
साला आज तक समझ नहीं आया की तिमाई - छेमाही एग्जाम में हर बार फेल होने के बाद भी फाइनल में पास कैसे होते गए।
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7 क्लास तक आते आते अनिल सर के बैंड के मास्टर हो गए। हर 15 अगस्त - 26 जनवरी को टोपी पहनकर भोंपू बजाने लग गए।
1 जनवरी को बेंचों पर चढ़कर न्यू ईयर मानाने लग गए। और अपनी क्लास को रिबिन और फुग्गों से भी सजाने लग गए।
क्लास की लड़किया जब क्लास में टीचर्स डे मानती थी -- कसम से ठीक एक दिन पहले पुरी क्लास का झाड़ू- पोछा लगाती थी।
स्कूल में एग्जाम के टाइम पर हम लड़को के साथ कुर्सी टेबल भी खुद ही जमाती थी।
टीम बाँट कर अंताक्षरी खेलती थीं , तो कभी हम बॉयज को डांस में स्टेप्स सिखाती थी।
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नीलिमा हो या प्रवीणा मैडम , सबकी यही कहानी थी ,
पड़ाना लिखाना था ही नहीं -- बस डांस में कला दिखानी थी।
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आया जब एग्जाम टाइम तो फिर वही कहानी शुरू हो गयी ,
अनु , दीपा, दिव्या, पूजा, ज्योति, किरण, सुजाता सबके बीच स्कूल टॉप करने की जंग शुरू हो गयी।
हम लड़के कहा पीछे रहने वाले थे , पता था फाइनल में पास हो ही जायेंगे ,
इसलिए घर पर चेन से सोने वाले थे।
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आ गयी 8 क्लास अब यारों , बोर्ड की अब हे बारी
पड़ना पड़ेगा मजबूरी हे अब , नहीं तो साल जाएगी मारी।
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मस्ती फिर भी खूब करी , पिटाई जाट भागवान सिंह की देखी ,
कभी बने फौजी डांस में , कभी फिरसे (6 बी) में जाकर खाली क्लास में छुपा छिपी खेली।
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पास हुए इस बार भी हम, रोक सका न कोय ,
साला अब तक समझ नहीं आया , बिना कुछ लिखे कैसे कोई पास होय।
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2 महीने घर गर्मी बिताकर , 9 क्लास में पोहोचे हम ,
योगेश - सुमित की लड़ाई आँखों में , अभी भी हे गरमा गरम।
यही मिली आशा मैडम - यही मिली मेडम हिना
नहीं भूल पाएंगे ये दिन कभी , पता नहीं कैसे रहेंगे इन सबके बिना।
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चंद्रा मेडम लाई अपने साथ , तुलसी राम जैसा बंदा ,
बिना कॉम्पिटिशन रह नहीं सकता , यही है उसका फंडा।
इसी समय आयी अंकिता , जागृति साथ में तनु, अल्पना
उज्ज्वला की पेंटिंग के साथ ,ख़त्म हुई 9 क्लास की घटना।
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आये जब 11 क्लास में, फिरसे बँट गये दोस्त 2 भाग में
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लिया किसी ने मैथ्स साइंस ,तो किसी को कॉमर्स लेना पड़ा ,
हम गए पहले मैथ साइंस में , फिर कामर्स में आना पड़ा।
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थे मॉनिटर मैथ साइंस के , सपना हुआ था पूरा ,
छोड़ी जब वह क्लास अकेले ने , तो साथ हुआ था अधूरा।
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कॉमर्स के परमार सर जी , थे वो बड़े उलझे उलझे ,
तिवारी सर लड़को को न पढ़ाते , इस मामले में वो थे सुलझे सुलझे ।
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डांस - गाना मस्ती मज़ाक
यही थी हमारी ग्यारहवीं की क्लास।
कभी रेनू का -- सिंध जिए सिंध वारा जियन का देखा डांस ,
तो कभी थी स्कूल का प्रेसिडेंट बनने की अधूरी आस।
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सुनील , शशांक , सुनील , नवीन , वर्षा
दोस्ती में सोनू, डांस में हम सबकी चर्चा।
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पक्के दोस्तों से मिलने हम फिर भी , हायर मैथ + कॉमर्स लेते रहे ,
मनीष सर की कोचिंग टेस्ट में हमेशा , फ़ैल होते रहे।
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लेकिन ख़ुशी इस बात थी की , सारे दोस्त फिर मिल गए ,
हमारे ग्रुप के गर्ल्स सेक्शन में आ जाने पर , स्कूल के सारे लड़के हिल गए।
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अब तो हरामखोर लड़के भी कभी हमें ठरकी ,कभी हमें topper , कभी हमें इंटेलिजेंट समझने लगे ,
लेकिन हम वो दोस्त हैं, जो सबकी बातें पक्का दिल करके सुनने लगे ।
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12 क्लास में आने पर हमें भी ,
डांस पे चांस और मेरा रंग दे बसंती चोला जैसे गानो पर लीड रोल मिलने लगे।
और इसी समय हमें भी , छोटे-मोटे प्राइस मिलने लगे।
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एनुअल फंग्शन हो या हो स्कूल हॉल की प्रेयर ,
स्टेज था अपना , दोस्त थे अपने , बस यही थी अपनी डेयर।
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थी आवाज़ फाटे बांस थी फिर भी , सुनते थे सबको गाने ,
आज भी याद है लाइफ में बीते वो दिन चंद दिन सुहाने।
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लम्हे ये बचपन के , हे वो तराने ,
फिर नहीं आएंगे ये सब लौट के , जो खो गए जमाने।
---बाते भूल जाती है , यादें याद आतीं हैं।
#RealwordsForChildhoodFriends.
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